कोली कौन है यह लेख आया ।
कोली एक समुदाय है जो मूल रूप से भारत के गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, हिमाचल प्रदेशऔर उत्तर प्रदेश राज्यों का निवासी रहा है। दक्षिण भारत में कोली जाती मुख्य उपजाति मुथूराजा,मुदीराजु,मुथरैयार एंव आर्या/आर्यान हैं। वर्तमान में, कुछ राज्यों में इन्हें जनजाति और कुछ राज्यों में अन्य पिछड़ा वर्ग में रखा गया है।
कोली शब्द कोलिय कुल से आया क्योंकि अगर प्राचीन इतिहास उठा के देखते है तब कोलिय कुल का विस्तृत तरीके से लिखा हुआ है गौतम बुद्ध कोलिय कुल में पैदा हुए थे।
भगवान मान्धाता कोलिय थे वही से कोलिय वंश चला , अतः कोलिय कुल भगवान् मान्धाता से सुरु हुआ जिनके 25वी पीढ़ी में दशरथ हुए अर्थात भगवान् राम भी इष्वांकु वंश के कोलिय कुल में पैदा हुए ।
शिवाजी की सेना में अधिकतर कोलिय थे । तानाजी रॉव कोलिय वंश से ही थे ।
मुम्बई का नाम कोलिय कुल देवी मुम्बा देवी के नाम पर रखा गया ।
कोली राजपूत थे जिनकी कई रियासतोंके बारे में इतिहास में लिखा हुआ है । पर समय के साथ ये सब राज पाठ छोड़ दिए और पिछड़े वर्ग में शामिल हो गए ।
लेकिन अभी भी काफी राजपुत जो कोलिय वंश से है वो अभी भी है ।
गुजरात और हिमाचल प्रदेश इसका जीता जागता उधारण है यही कोली राजपूत कहलाते है ।
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश के कोरी जाति से आने की बजह से अनुसूचित जाति में आते हैं ।
श्री राम का जन्म मन्धाता के बाद 25वीं पीढ़ी में हुआ था। एक अन्य राजा ईक्ष्वाकु सूर्यवंश के कोली राजाओं में हुए हैं अतः मन्धाता और श्रीराम ईक्ष्वाकु के सूर्यवंश से हैं।
बाद में यह वंश नौ उप समूहों में बँट गया, और सभी अपना मूल क्षत्रिय जाति में बताते थे। इनके नाम हैं: मल्ला, जनक, विदेही, कोलिए, मोर्या, लिच्छवी, जनत्री, वाज्जी और शाक्य. पुरातात्विक जानकारी को यदि साथ मिला कर देखें तो पता चलता है कि मन्धाता ईक्ष्वाकु के सूर्यवंश से थे और उसके उत्तराधिकारियों को ‘सूर्यवंशी कोली राजा’ के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि वे बहादुर, लब्ध प्रतिष्ठ और न्यायप्रिय शासक थे।
बौध साहित्य में असंख्य संदर्भ हैं जिससे इसकी प्रामाणिकता में कोई संदेह नहीं रह जाता। मन्धाता के उत्तराधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और हमारे प्राचीन वेद, महाकाव्य और अन्य अवशेष उनकी युद्धकला और राज्य प्रशासन में उनके महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख करते हैं।
हमारी प्राचीन संस्कृत पुस्तकों में उन्हें कुल्या, कुलिए, कोली सर्प, कोलिक, कौल आदि कहा गया है।।
संदर्भ: विकिपीडिया इनसाइक्लोपीडिया।